स्त्री क्या है
स्त्री क्या है
स्त्री क्या है?
स्त्री प्रकृति है
जो अपने स्तनों मे अमृत
और अपने योनी में सृजन लिये जनमती है
ना तो उसका दान किया जा सकता है
और ना हीं उसे कभी
दान में लिया जा सकता है
वो केवल भोग्य नहीं है
जिसका बस भोग किया जा सके
ना हीं वो कोई साधन है
जिसका उपयोग करके
उसका परित्याग किया जा सके
वो जीवन और
जीवन के मध्य की कडी है
जो जीवन चक्र चलाती है
वो संवारने और
बिगड़ने की सारे उपाय जानती है
जब वो प्रेम करे तो रती
द्वेष करे तो सुर्पणखा
वात्सल्य दे तो पारवती
चुप रहे तो अहिल्या और
हूँकार भरे तो चंडी हो जाती है
वो निष्ठा में गांधारी है
करुणा मे सीता
इर्ष्या में मेनका
और घृणा मे चंडालिका है
वो प्रेम कर सकती है तो
प्रतिशोध भी ले सकती है
समर्पण करती है तो
परित्याग भी कर सकती है
अगर सबकुछ लूटाना जानती है तो
सर्वस्व लुटना भी जानती है
स्त्री शक्ति है
आध शक्ति है
आत्मा भी है और परमात्मा भी है
वो अधार भी है और निराधार भी है।