कुछ दूरी सी रह गई
कुछ दूरी सी रह गई
कुछ दूरी सी रह गई,एक बात अधूरी रह गई
होंठो पर ना आई जो, फरियाद अधुरी रह गई
ना देखा ना स्पर्श किया,बस उसको महसुस किया
बंद नज़रों से सुनकर उस,अवाज़ को दिल में दर्ज़ किया
ऐसा फिल्मों में होता था जब प्यार फोन पर होता था
लेकिन उस दौर का यारों अलग फसाना होता था
एक गलत नम्बर के कारण मेरे और उसके तार जुडे
लेकिन उस दिन के बाद मेरे हर राह बस उसी ओर मुडे
पहले शरारत,फिर शिकायत हौले-हौले हो जाए
दिल का दर्द भी दिल-हीं-दिल में मिलने को बडा तडपावे
दो पखवाड़े में लगता जैसे ये आकर्षण बढ़ता जाए
चाहे दिन कितने भी बीते मिलने की चाहत घट ना पाए
पहले बातें होती थी बस इधर-उधर की बेमानी सी
फिर वो बातें आई दिल तक, जो थी दिल की मनमानी सी
अभी तलक बस बातें ही थी जो दोनों को बांधे रखती थी
नज़र मिलने को तरसे लेकिन ना मिलने की कसमें ली थी
फिर एक दिन ऐसा आया काम का एक बुलावा आया
ना मिलने की कसम की ख़ातिर दिल चाहा पर वो मिल ना पाया
निकल गया वो दूर देश को जीवन अपना बनाने को
लेकिन प्यार था उसके संग अब सदा हौसला बढ़ाने को
लौटा तीन महिने मे वो मिलने का प्रस्ताव लिये
अपने नयन मे अपने प्रेम का मिलन स्वप्न का सार लिए
जहां प्रेम हो दिल मे बस्ता सुरत से फ़र्क नही पड्ता
रंग-रूप से नयन-नक्स से मन तनिक भी नहीं डिगता
पहली बार मिले थे दोनों अपना अपना प्यार लिए
पिछले छ: महिने की विरहा का पुरा हिसाब-किताब लिए
सुरत सपनों सी सुंदर ना थी, लेकिन कोई अफसोस नहीं था
सीरत के आगे सूरत का कम होना कोई दोष नहीं था
दोनो ने कसमें खाई थी संग हमेशा रहना है अब
लेकिन प्रेम में बाधा ना हो सोचो ऐसा हुआ है कब
दो दिल की कहानी में अब तक कोई शिकारी आ पहुंचा था
प्रेमी के ना रहते एक दिन जो चांद सिरहाने जा पहुंचा था।