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मत धड़क हर आहट पर

मत धड़क हर आहट पर

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ऐ दिल संभल जा,

वो चला गया,

मत धड़क हर आहट पर,

यह उसकी दस्तक नहीं

दरवाज़ों से हवाएं खेलतीं हैं।


मत सजा ख्वाव,

उसकी पुकार के,

बीती रात की कब्र में,

दफन कर वो तुझे चला गया।


नादाँ है तू,

छोड़ दे सजाना,

आस की सेज,

तेरी हथेलिओं में सिर्फ,

टूटे सपनो की किरचीआं हैं,

और लहूलुहान यादों का ढेर।


लाचार निगाहों से मत ढूंढ,

भीड़ में उसका चेहरा,

तेरी निगाहों की पहुँच से,

दूर, बहुत दूरउसके शहर की,

भीड़ का रंग कुछ और है।


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