महामृत्यु के आंचल में भी जीवन की रेखाएं। मानव मन की जिजीविषा ही पुष्पित हो मुस्काए। महामृत्यु के आंचल में भी जीवन की रेखाएं। मानव मन की जिजीविषा ही पुष्पित...
आज निराश्रित हैं जितने जन देव, उन्हें आश्रय दे कर दो धन्य। आज निराश्रित हैं जितने जन देव, उन्हें आश्रय दे कर दो धन्य।
नारा भूले जय श्री राम हो गया काम कांग्रेस हे जय श्री राम हो गया काम नारा भूले जय श्री राम हो गया काम कांग्रेस हे जय श्री राम हो गया काम
हे मुरलीधर माधव, मधुवन झूम रहा है, आप वहां रस रास रचाने, कब आओगे। हे मुरलीधर माधव, मधुवन झूम रहा है, आप वहां रस रास रचाने, कब आओगे।
ईश्वर भक्ति है मुक्ति माया , बंधन को जो है काटे। ईश्वर भक्ति है मुक्ति माया , बंधन को जो है काटे।
उनको भी दर्द का एहसास होता होगा। उनको भी दर्द का एहसास होता होगा।
नटखट चंचलता मनस उतरी उजास विहीन भोर ठहरी। नटखट चंचलता मनस उतरी उजास विहीन भोर ठहरी।
कितना कहोगे कहते रहो कोई फर्क नहीं पड़ता, अरे मैं तुम्हारी तरह कोई नकाब नहीं पहनता। कितना कहोगे कहते रहो कोई फर्क नहीं पड़ता, अरे मैं तुम्हारी तरह कोई नकाब नहीं ...
"फैसले और फासले के बीच का, एक दौर था बोह हसरतों और उम्मीद का" "फैसले और फासले के बीच का, एक दौर था बोह हसरतों और उम्मीद का"
प्यार की डोर सजाती दिल को दिल से मिलाती हैं ये ज़िंदगी प्यार की डोर सजाती दिल को दिल से मिलाती हैं ये ज़िंदगी
माँ खुदा है, पंछी की छाया है, पेड़ो की डाली है माँ। माँ खुदा है, पंछी की छाया है, पेड़ो की डाली है माँ।
छोटा है बहुत यह परिधि बन्ध, मैं हूं अनन्त विस्तीर्ण प्रिये। छोटा है बहुत यह परिधि बन्ध, मैं हूं अनन्त विस्तीर्ण प्रिये।
अंगारे लगते शीतल से सोना हार गया पीतल से। अंगारे लगते शीतल से सोना हार गया पीतल से।
देश को दी आज़ादी। हस्ती गोरों की मिटा दी। देश को दी आज़ादी। हस्ती गोरों की मिटा दी।
हम बनें आत्मनिर्भर बनकर शक्तिशाली, मिटाएं तिमिर , बन नव दिनकर की लाली। हम बनें आत्मनिर्भर बनकर शक्तिशाली, मिटाएं तिमिर , बन नव दिनकर की लाली।
शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात। शिव और पार्वती मिलन की है ये रात, श्रद्धा विश्वास होते दिव्य प्रेमी सौगात।
एक लड़की के अधूरे सपने ! क्या होती है ये सपने ? एक लड़की के अधूरे सपने ! क्या होती है ये सपने ?
एक जन्म मे ,अनगिनत जन्मों को जीना ,है अमरता। एक जन्म मे ,अनगिनत जन्मों को जीना ,है अमरता।
बन अपने घर की पुरवइया, इठलाती होगीं, अंगना में। बन अपने घर की पुरवइया, इठलाती होगीं, अंगना में।
सोने सी आभा, हृदय को छूती है, प्रकृति की गोद में नवजीवन बुनती है। सोने सी आभा, हृदय को छूती है, प्रकृति की गोद में नवजीवन बुनती है।