STORYMIRROR

Bhavna Soni

Others

4.9  

Bhavna Soni

Others

एहसास

एहसास

1 min
886


ना जाने ऐसा क्यों होता है

जो आपका होता है वही पराया हो जाता है

सोचा था साथ रहेंगे हमेशा

किसे पता था नफरत करेंगे इस तरह


कल जो मिले थे हँस के

आज वो ही पल आँखों में आँसू ला देते हैं

अनजाने में मिली वो जो ख़ुशी थी

अनजाने में दुःख दे जाते हैं


लगता था जी ना पाएँगे हम जिसके बिना

आज उसके साथ ना जीने की कसम खा ली है

हँसी की वजह बनाया था हमने जिसे

उसके बग़ैर मुस्कराने की आदत दाल ली है

टहलते हुए पहुँच जाते हैं


उन हसीन जगहों पे कभी

मुस्कान तो आती ही है

ग़म भी लौट आते हैं सभी

अपनों के लिए जीना चाहते थे

अपने ही कहीं खो गए

अब खुद के लिए भी जीना है

अपनों को खोज कर


आँखें पढ़ लेते थे जो

हम कैसे नहीं पढ़ पाए उनकी आँखें

प्यार किया था जिनसे

हम कैसे नहीं समझ पाए उनकी बातें


दौड़ में हमेशा अव्वल आते थे वो

भागना उन्हें पसंद था

जिंदगी से भाग रहे थे वो

हमे कहाँ पता था


सीखा था जिनसे भरोसा करना

उन्होंने ही भरोसा तोड़ दिया

हर छोटी बात पर रो पड़ते थे हम

उन्होंने दर्द में भी मुस्कराने के लिए छोड़ दिया







Rate this content
Log in

More hindi poem from Bhavna Soni