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Meghna Sharma

Others

3.3  

Meghna Sharma

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राम- राज्य का इंतज़ार...

राम- राज्य का इंतज़ार...

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राम- राज्य का सपना देखा,

जु़ल्म नें पार की लक्ष्मण रेखा।

जहाँ देवी मानी जाती थी नारी,

आज उस पर है पूरी दुनिया भारी।

भ्रष्टाचार रावण बनकर उजियारे में आया,

मातृभूमि पर है पापियों का साया छाया।

सीता आशंकित है सदन में अपने,

जाने क्यों तोड़ दिये जाते हैं उसके सपने।

आज भाईचारा न रहा सगे भाईयों में,

अरे क्या राम- लक्ष्मण की मिसाल देते फिर रहे हो;

लालच से रहो दूर, दूर रहो पैसे- पाइयों से।

कहाँ पहले महान माना जाता था धर्म,

आज धर्म के नाम पर बिगड़ रहें हैं मानव के कर्म।

कहाँ भगवान के नाम पर मार दी जाती हैं लड़कियाँ,

कहाँ धर्म के नाम पर बाँध दी जाती हैं बेड़ियाँ।

कहाँ ईश्वर के नाम पर निषेध करते हैं शिक्षा,

जबकि उसी के ही नाम पर लेते हैं भिक्षा।

इतना छोटा न है वह भगवान,

कि मानव को मना करे वह शिक्षा, व सम्मान।

इतना संकीण न है वह

कि मना करे औरतों को मंदिर में घुसने से;

फलने- फूलने, व बढ़ने से,

यह मनोभाव है सिर्फ और सिर्फ इंसानी दरिंदों के।

राम- राज्य कब आएगा यह खुद से पूछो

धर्म की बजाए, भगवान को पूजो।


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