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Mitesh Gupta

Others

4.5  

Mitesh Gupta

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खुदा ने कुछ सोच के रखा है।

खुदा ने कुछ सोच के रखा है।

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जानता हूँ तूझे रोक के रखा है,

पक्का खुदा ने तेरे लिये कुछ सोच के रखा है।


ये ठहरते कदम तेरे दिखते है उसको,

ये आँखें नम तेरी दिखती है उसको,

ये तेरा मायूस चेहरा ये गुस्से की आग,

ये माथे की लकीरें ओ शिकन दिखती उसको,

पर सच मान उसने भी खुद को रोक के रखा है,

तेरे लिये ऐ बंदे कुछ सोच के रखा है।


ये आसमान झुकेगा तू हो ना कमज़ोर,

ये ज़माना देखेगा जब होगा घनघोर,

होंगे सजदे तूझे, होंगी बाते तेरी,

होगा हर तरफ बस तालियों का शोर,

इसलिये इस आग में तूझे झोंक के रखा है,

तेरे लिये ऐ बंदे कुछ सोच के रखा है।


मोहब्बत तेरी हर कदम पर साथ है,

सर पर तेरे उस माँ का हाथ है,

क्या सोच के डर रहा तू बात मेरी सुन ज़रा,

दिखा दे इन लोगों को किसकी क्या औकात है,

उठा कदम कर फतह, क्यों खुद को रोक के रखा है,

तेरे लिये "तरुण" उसने कुछ सोच के रखा है।


जानता हूँ तूझे रोक के रखा है,

पक्का खुदा ने तेरे लिये कुछ सोच के रखा है।


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