मुक्तक
मुक्तक
1)
दिल की बात जुबां पर लाओ,होती है कयामत हो जाए।
तनहाई में मिले हो तुम, होती है शरारत हो जाए ।।
पहरे लगा ले लाख जमाना, कुछ न उसे हासिल होगा ।
हम प्रेमी हैं प्यार करेंगे, होती है बगावत हो जाए ।।
2)
मीठा सा एहसास जगा है क्या तुम यहीं कहीं हो ।
रोम-रोम में प्रेम पगा है क्या तुम यहीं कहीं हो ।।
अनुभूति यही हर बार हुई कि पहली बार छुआ है ।
पर प्रेम का रोग लगा है क्या तुम यहीं कहीं हो ।।
3)
मुद्दतों के बाद मुझको मीत मेरा है मिला ।
होंठों को फिर एक नूतन गीत मेरा है मिला ।।
पाने की हर एक आशा खो दिए थे जो सकल ।
बांह फैलाकर मुझे पुनि प्रीत मेरा है मिला ।।
4)
सत्य-अहिंसा के पालक हम ,पहले रार नहीं करते।
कभी शत्रुदल का धोखे से हम संहार नहीं करते ।।
पुलवामा करके बतलाया तुम औलाद हो गीदड़ की ।
शूरवीर लडते हैं रण में छुपकर वार नहीं करते ।।