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Kavya Venkatesh

Others

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मैं कौन हूँ?

मैं कौन हूँ?

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ऐ मानव ऐ मानव

यह एक हृदय की खुली चिट्ठी है

न बन जा आज तू अंधकार में दानव

यह इस दिल की तुझसे विनती है |

ऐ मानव ऐ मानव

एक माँ ने तुझे जन्मा , एक बहन ने तुझे सुलाया

तो फिर आज क्यों तूने मुझे

बराबर न मानकर यों भुलाया ?

ऐ मानव ऐ मानव

अपनी प्रगति के नाम पर, पाने को यश

जिसने तुझे पाला, उसे अपने से छोटा मानकर

क्यों आज मुझी को बनाया विवश ?

ऐ मानव ऐ मानव

याद अब नहीं तुझे राखी का वह दिन

जब वादा किया था तूने, आंच न आने देगा मुझे

फिर आज तुझे अपनी कलाई क्यों सूनी न लगती राखी के बिन ?

ऐ मानव ऐ मानव

जिस कोख ने जन्म दिया था तुझको

आज उसका अपमान कर

क्यों दे रहा है पीड़ा मुझको ?

ऐ मानव ऐ मानव

न जाने कितनी बार तूने मुझे रोका

कहता था - तुम स्त्री हो, रहने दो

कैसे तूने मान लिया मुझे हवा का मामूली झोंका?

ऐ मानव ऐ मानव

मैं हर वह स्त्री हूँ,

माँ, नानी, बहन, सहेली

जिसकी अहमियत आज भूल गया है तू |

ऐ मानव ऐ मानव

मुझे तेरी छाया में नहीं छुपना

आगे बढ़कर उड़ान भरनी है

यों पल्लू के पीछे नहीं ढकना |

ऐ मानव ऐ मानव

माँ काली से कालिमा का सफर मैंने देखा है

क्योंकि तूने, सिर्फ तूने

मुझसे मेरा अस्तित्व चुराया है |

ऐ मानव ऐ मानव

रूप लिए द्रौपदी, सीता, गंगा का

बन सकती हूँ मैं चण्डालिनी

वाक़िफ़ तो तू इससे भी था |

ऐ मानव ऐ मानव

काश आज तू याद रखता

कि यदि संसार में मैं न होती

तो शायद तू जन्मा ही न होता |

ऐ मानव ऐ मानव

मैं अपने आप को बचा लूंगी

लेकिन तूने मेरी पहचान छीनी

आज मैं ही खुद से पूछने लगी - मैं कौन हूँ ?


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