जीतेंगे
जीतेंगे
कोरोना के कहर से, बचा नहीं जग कोय।
सावधान हो जाइए, मृत्यु न असमय होय।।
घर से बाहर जाइए, जब हो कोई काम।
बिना काम ना जाइए, करिए बस आराम।।
निकलोगे बिन काम के, होवोगे हलकान।
बिन कारण पिटना पडे़, सही नहीं श्रीमान।।
रहो सुरक्षित आप भी,और पास के लोग।
घर में रहने से नहीं, फैलेगा यह रोग।।
हमें भगाना है इसे, समझ बूझ के साथ।
करो नमस्ते दूर से, नहीं मिलाओ हाथ।।
देश बचाना है हमें, होकर सजग सुजान।
और बचाना है हमें, निज लोगों की जान।।
कुछ दिन की बस बात है, होगा संकट दूर।
संयम से रहिए सभी, बनिये ना मगरूर।।
शासन परशासन सभी, सबको रहे बचाई।
इसीलिए सबको रहे, घर में ही ठहराइ।।
करना हमको चाहिए, शासक का सहयोग।
हम सबका भी धर्म है, ना फैलायें रोग।।
पालन करिए मिल सभी, सरकारी आदेश।
मिट जायेगा जल्द ही, आया है जो क्लेश।।
बचिए आप बचाइए, अपना ही परिवार।
खुद बच जाएगा सखे, पूरा ये संसार।।
हम सबका कर्तव्य है, माने सभी उपाय।
मिल करके निज देश से ,देवे इसे भगाइ।।
नमन करें उन सभी को, जो हैं रहे बचाई।
लगे हुए दिन रात हैं, अपनी नींद खपाइ।।
चिंतित है सरकार ये, कम होवे नुकसान।
बचे रहें निज देश के, अधिकाधिक इंसान।।
इसीलिए हम कह रहे, जमे रहो घर माँहि।
राशन पानी के लिए, एक जने ही जाँहि।।
ताला बंदी का हुआ, भारत में ऐलान।
सब कोई पालन करो, बची रहेगी जान।।
बचना है यदि प्रलय से, रहना है तइयार।
बात माननी है सभी, जो कहती सरकार।।
संकट कोई हो भले, रहता है दिन चार।
धीरज संयम ही सदा, उसका है उपचार।।
धीरज रखिए साथ में, संयम की पतवार।
महा भयंकर बाढ़ से, हो जाओगे पार।।
संयम से यदि ना रहे, फँस जाओगे भाई।
कोरोना के जाल से, न केउ सके बचाई।।
आँधी आने पे सदा, बइठि बितावइ भाइ।
बूढ़ पुरनिये कहि गये, समाधान होई जाई।।
नहीं ठहर पाया कोई, आया जो जग माँहि।
स्थिर कोई ना रह सके, कछुक दिवस में जाँहि।।
कछुक दिवस घर में रहें, मन में संयम धारि।
करोना भग जाएगा, देंगे उसे पछारि।।
