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Sushmita chander

Drama

2.1  

Sushmita chander

Drama

चले जाओ

चले जाओ

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तुमने कैसे कह दिया

अब रास्ते हैं जुदा

तुम्हें उन रास्तों का वास्ता

जिसके पत्थर अभी भी

हमारी यादों की चादर ओढ़े सो रहे हैं ।


कुछ पिघले से हैं आंसुओ के सैलाब में

कुछ हसीं पलो की यादें संजो रहे हैं ।


बीते कल के गलियारों में

अभी भी बह रहीं हैं हवा हमारी यादो की

दीवारों पर हमारी परछाईयाँ सजी हैं ।


रात की टहनियां अभी भी जागती हैं

हमारी कहानियों की सुबह में

और तुम कहते हो .....बस अब चलें ।


चले जाओ, कदम उठाओ

चुन लो अपना रास्ता


पर हर राह के हर मोड पर हमको ही पाओगे

हवाओं से भी खटकेगा जो दरवाज़ा

अपनी सोचों के पर्दे पर हमको ही सजाओगे

छुरमुटों से उठते कोहरे

बनायेंगे नक्श हमारे ही

प्यार की यह दुआ या बददुआ तुम साथ ले जाओगे ।।


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