क्योंकि दिल कभी झूठ नहीं बोलता
क्योंकि दिल कभी झूठ नहीं बोलता


समुद्र की उठती - गिरती लहरों की तरह
जब इस दिल में भी भावों की बाढ़ आती है,
तब किसी बड़े से बाँध की तरह
इस प्यारी सी कलम की ही तो याद आती है!
वाणी तो हर किसी के पास होती है
किन्तु दिल की वाचा से मीठी इनमें से और कोई नहीं,
जब भावना बुद्धि पर हावि होने लगती है
तब उसे कागज़ पर उतारने के अलावा विकल्प और कोई नहीं।
मेरा दिल भी पागल है, सपने ही देखता रहता है
कहता है यह सच होगा सब,
किन्तु हर पल ज़िंदगी में तूफ़ान ही आता रहता है
सोचती हूँ कैसे आगे बढूंगी मैं अब?
पिंजरे में बंद हूँ मैं बस एक तोते की तरह
फ़िर भी दिल अरमान लगाए बैठा है!
एक दिन मैं भी उड़ान भरूँगी बाज़ की तरह
बस यही रट लगाए बैठा है!
चलती हूँ आगे एक कदम ही
और रास्ता कांटों से भर जाता है,
तब टूट जाते हैं सपने एक पल में ही
मन में एक डर-सा बैठ जाता है।
फ़िर भी दिल अरमान लगाए बैठा है!
भेदभाव जब भी देखती हूँ
आवाज़ उठाने को जी चाहता है,
मन कहत
ा है क्यों खतरा मोल लेती है तू
लेकिन दिल कहाँ कुछ सुनता है?
दिल तो अरमान लगाए बैठा है!
ज्यों ही मैं पर फैलाती हूँ
नियती उसे काट देती है,
मन कहता है क्यों मेरा नहीं सुनती है तू
दिल बोलता है निराश क्यों तू होती है?
दिल तो अभी भी अरमान लगाए बैठा है!
कहते हैं दिल कभी झूठ नहीं बोलता
सपने एक दिन ज़रूर साकार होते हैं,
परिश्रम से तो भाग्य भी है डोलता
और जीवन को नए आकार भी मिलते हैं।
हाँ, मेरे जीवन में भी यह सार्थक हुआ
काँटों पर चलकर मुझे पंखुड़ियाँ मिली,
तूफ़ान एक खुशनुमा लहर में परिवर्तित हुआ
भेदभाव के खिलाफ़ मुझे जीत मिली।
हाँ, मेरा भी पिंजरा खुला अंततः
आसमान में उड़ान भरी मैंने बनकर बाज़,
सफलता के द्वार खुले स्वतः
ज़िंदगी में भर गए संगीत के साज़।
एक ही ज़िंदगी है, अपनी इच्छाओं को पूरी करो
यही दुनिया के सारे द्वार खोलता है,
मैंने भी सीखा कि अरमान देखा करो
क्योंकि दिल कभी झूठ नहीं नहीं बोलता है!