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Harsh Goyal

Drama Inspirational

4  

Harsh Goyal

Drama Inspirational

ये कलियुग है मेरे नाथ

ये कलियुग है मेरे नाथ

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हे प्रभु धूरा खिचो रथ रोको

अब क्यों प्रलय की तैयारी है

ये कलयुग है मेरे नाथ

ये कलियुग है मेरे नाथ 

यहाँ क्या दुर्योधन कर्ण और क्या अर्जुन और क्या भीष्म पितामह

यहाँ सारे अहंकारी है यहां सारे अहंकारी है

अब ना होगा ये कलयुग का अधर्म सहन हमसे

के हे मृत्युंजय अब ना होगा ये कलयुग का अधर्म सहन हमसे

अब किस बात की मून को तुमने ठानी है

ये मानवों की बुद्धि ही तो है प्रभु

जिसने प्रलय मचाया विनाशकारी है

जिसने प्रलय मचाया विनाशकारी है


इस बिना शस्त्र के युद्ध में

कितने अपने चले गए

यूं कितने परिचित मारे गए

शवों के ढेर पर जानवर भी है अब नाच गए

और घर के घर अनाथ हुए

और अर्जुन जैसे हारे गए

और न जाने अभिमन्यु जैसे कितने ही तो मारे गए

साधु संत है खुले आम मरते और कोई कुछ ना बोल पाता है

उस समय पितामह और आज मनुष्य मिथ्या धर्म को श्रेष्ठ बतलाता है


कब मरा वो साधु मौलाना पादरी

ये सबको याद दिलाता है

फिर निर्भया जैसों को क्यों यह कानून और इंसान

इंसाफ देने में कतराता है क्यों इतना समय लगाता है


मंदिर मस्जिद अब है टूटते

लोग बट गए है अलग अलग धर्म के विचारो में

धर्म तो है बस सत्य का नाम यह भूल गए है अपने दुस्कामों में

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अहिंसा परमो धर्म ये सबको याद दिलाता है

धर्म हिंसा तदेव चा फिर ये बतलाना क्यों भूल जाता है

अब तो आपको अवतरित होना पड़ेगा धारा पर

सिखलाने ये पाठ जीवित प्राणियों को

की चाहे कितना ही बुद्धि मान वो बानले

लेकिन मिलता नहीं स्थान गो लोक में किसी अहंकारी को

गो लोक में किसी अहंकारी को


के हे राघव माधव मृत्युंजय सुन लो ये अरज हमारी है

की ये तो बिना शस्त्र का युद्ध है प्रभु जो इतना विनाशकारी है

सोचता हूँ में तो अब की

क्या होगा जब माधव कल्कि अवतार में आयेंगे

क्या वो लड़ने के लिए अश्वथमा और बजरंगी जैसे वीर भी संग में लाएंगे

शिक्षा लेंगे वो परशुराम से जो उनको लड़ना खूब सिखलाएंगे

और कलकी अवतार से मिलकर तो भगवन भी न फूले समाएंगे


खुशी का माहौल है अब तो

क्योंकि श्राप का अंत जो निकट में आया है

कल्कि अवतार के बाद में तो

राधा को कृष्ण और मां जानकी को हमेशा के लिए प्रभु श्री राम का हो के रह जाना है


सोचता हूँ की कितना हसीन पल वो होगा

जब भगवन विनाश के बाद नव निर्वाण लाएंगे

कलयुग का जब होगा अंत और सतयुग फिर से बसाएंगे

और सतयुग फिर से बसाएंगे


के हे प्रभू अब तो आना पड़ेगा आपको धरा पर

सिखलाने यह पाठ जीवित प्राणियों को

की चाहे कितना ही बुद्धिमान वो बन ले

लेकिन मिलता नहीं स्थान गो लोक में किसी अहंकारी को

गो लोक में किसी अहं......कारी को



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