तारे ज़मीं पर
तारे ज़मीं पर


उम्र कभी प्रतिभा की,
मोहताज नहीं होती,
कि जब तक आकाश अनंत है,
जगमगाते तारों की,
कमी नहीं होगी!
यूहीं कुछ सितारे,
छिपे मेघ के पीछे,
डरे सहमे से,
निकल आते हैं बाहर,
छटने पर मेघ के!
हैरान रह जाते हैं हम,
देखकर चमक उनकी,
जो होती है कुछ ऐसी,
हम भी जगमगा उठते हैं,
रोशनी से उनकी!
उन्हीं में से कुछ तारे,
छिपे हैं, दबे हैं,
जिम्मेदारियों के बोझ तले,
अपनी ख्वाहिशों,
अपने पँखों को,
मोड़कर बैठे हैं!
जिस दिन वो पंख,
फड़फड़ाएंगे,
और उड़ जाएँगे,
अनंत आकाश में!
सूर्य मुस्कुराकर,
खुद छिप जाएगा,
कि तारों की रौशनी ही,
अब इस जहाँ को,
नई राह दिखलाएगी!