अधूरे रिश्ते
अधूरे रिश्ते
अधूरे-अधूरे रिश्तों का,
कुछ टुकड़ा जमा किया है,
हमने ज़िन्दगी का यहां,
कुछ पन्ना जमा किया है !
कुछ पल में उनके यूं,
मुरीद हो गए हम,
उन्होंने भी हमको,
वक़्त अपना अदा किया है !
वक़्त कम था,
पहचान नई थी,
पर मिले कुछ यूं,
रिश्ते सदियों पुराने ही लगे !
जुड़े हम उनसे,
कुछ इस कदर एक पल में,
कि जैसे जुड़ने में सबको,
ज़माने लगे !
ये चार दिन का साथ,
अब बीत चला है,
हर शख्स पर यहां,
अपना हो चला है !
हम भूल न पाएंगे अब,
ये दिन ये रातें,
याद रहेंगी हमें,
सदा ये मुलाकातें,
कुछ पल की मुलाकातें !