एक रात का किस्सा
एक रात का किस्सा


सुना है,
एक रात का किस्सा सुनाती थी वह
कहती थी,उदास था चाँद उस रात
फिर कोई पूछता
चाँद भी उदास होता है?
तो ,वह कहती
चाँद के पास भी तो उसका प्यार होता है
फिर कोई पूछता
तो क्या प्यार में कोई उदास होता है?
तब वह कहती
प्यार में तकरार भी तो होता है
और फिर कोई पूछ बैठता
पर इससे पहले ही
वह बोल उठती
उदास था चाँद उस रात
फिर से कोई पूछ बैठता
तो क्या चाँद का चांदनी से तकरार था?
फिर वह कहती
उदासी बेकारण भी तो हो सकती है
फिर से कोई कहता
अच्छा !!
तो क्या चाँद इसलिए उदास था,क्योंकि
उसके पास कोई कारण न था?
वह मुस्कुराती और कहती
पर फिर कोई कह उठता
हो सकता है चाँद इसलिए उदास था
क्योंकि
ang="HI">क्योंकि उस रात आसमान में कोई तारा भी न था
सब बोल लेते पर वह वहीं थी
उसकी कहानी भी वहीं थी
कि,एक रात उदास था चाँद
सुना है,एक रात की किस्से सुनाती थी वह
कहती थी,
उदास था चाँद उस रात
फिर से आगे कुछ कहती
इससे पहले ही कोई कह उठता
चाँद भी उदास होता है?
अक्सर कहा करती थी
अपनी कहानी में वह
कि
एक रात थी और एक चाँद था
और रात में फैली चाँद की उदासी थी
कोई कहता,चाँद भी उदास होता है क्या?
और वह कहती
उदास था चाँद उस रात
सुना है,किस्सा आज भी जारी है
और
एक रात की किस्से सुनाती है वह
एक चाँद होता है और कुछ उदासी होती है
और उनमें सिमटी रात का सूनापन होता है
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