शांत चेहरे की मुस्कराहट
शांत चेहरे की मुस्कराहट
किसी शांत चेहरे को मुस्कुराते देखो,
तो टोकना नहीं,
वो चेहरा बरसों का थका,
अब हँसना सीख गया है !
खामोशी भी पिघल जाए,
जिसकी हँसी से,
वो दुःख के रस को,
सुख - सा पीना सीख गया है !
बह चला है वो बनकर नदी,
खुद हवाओं के रुख संग,
वो तेज़ तूफ़ान में भी,
शांत रहना सीख गया है !
कर लिया है आज़ाद खुद को,
बंदिशें जो बनाई थी उनसे,
अब जीवन के इस खेल को,
वो खेल - सा जीना सीख गया है!
जो ठहराव देख रहे हो तुम,
उसके मासूम चेहरे पर,
वो बदलाव है उसमें,
तुम्हें ज्ञात नहीं होगा,
तुमने उसका हाथ,
बीच रास्ते थामा था !
उसे याद मत दिलाना,
उसकी पुरानी रंजिशें,
वो कल को भुलाकर,
आज में जीना सीख गया है !