Anushree Goswami

Abstract

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Anushree Goswami

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पुरानी हो गयी

पुरानी हो गयी

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फिर कल जो आया तो,

कल की बात, 

पुरानी हो गयी !


मैं जीता था कल जी भर के,

और ज़िन्दगी, 

पुरानी हो गयी !


फिर जिस राह, 

चल रहा था मैं,

वो राह, बेगानी हो गयी !


जहाँ पहुँचना था,

जो मंज़िल थी बरसों से,

वो मंज़िल भी पुरानी हो गयी !


फिर हर ख्वाब, 

हर ख्वाहिश, 

हर सपने, पुराने हो गए !


जो अपने थे कल,

जिनके साथ था जीवन बिताना,

संग रहने की चाह, 

पुरानी हो गयी !


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