Anushree Goswami

Abstract

5.0  

Anushree Goswami

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नज़्म

नज़्म

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एक पल की,

दीवानगी लिख रहा हूँ,

कवि हूँ,

जिंदगानी लिख रहा हूँ !


खयाल था इश्क का,

हार - जीत का,

सपनों के टूट जाने का,

अपनों के छूट जाने का !


कोई नई शरारत का,

या कि पुरानी,

किसी आदत का !


ख्याल बेवक्त,

बेदर्द मोहब्बत का,

ख्याल सपनों को,

सच कर जाने का !


एक ख्याल ही तो है,

कहानी लिख रहा हूँ,

कवि हूँ,

जिंदगानी लिख रहा हूँ ! 


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