नज़्म
नज़्म
एक पल की,
दीवानगी लिख रहा हूँ,
कवि हूँ,
जिंदगानी लिख रहा हूँ !
खयाल था इश्क का,
हार - जीत का,
सपनों के टूट जाने का,
अपनों के छूट जाने का !
कोई नई शरारत का,
या कि पुरानी,
किसी आदत का !
ख्याल बेवक्त,
बेदर्द मोहब्बत का,
ख्याल सपनों को,
सच कर जाने का !
एक ख्याल ही तो है,
कहानी लिख रहा हूँ,
कवि हूँ,
जिंदगानी लिख रहा हूँ !