रक्षा बन्धन
रक्षा बन्धन
लोगों को बड़ी हमदर्दी हैं कि
माँ के तीन भाई हैं
तुम्हारा एक भी नहीं
सच पूछो तो मुझे
इस बात का गिला भी नहीं
मुझे अच्छा भी नहीं लगता
जब कोई बहन कहता हैं
या मानता हैं यह लफ्ज़ हैं
जो उलझ जाते हैं
यह रिश्ते तो रास्ते में अटक जाते हैं
पुरुष का पोरुष किसी बंधन में बंधना नहीं हैं
उसे तो चाहिए नारी किसी भी
रूप में पुरुष के जीवन में आए
उसका सम्मान होना चाहिए
उसकी रक्षा किसी धागे या सूत्र
तक सीमित नहीं हैं
इस देश की नारी की रक्षा हेतु
हुमायू तभी न आए जब कर्णावती बुलाए
वो तो हर परिस्थिति में
कर्णावती को बचाए
मुझे अपने जीवन में ऐसा बंधन चाहिए
जो समाज को सोचने पर मजबूर करे
इस सोच का ऐसा मंथन चाहिए
कुछ परिवर्तन हो तो ठीक हैं
वरना इस बात का कोई अफ़सोस नहीं
कि माँ के तीन भाई हैं
और मेरा एक भी नहीं.......
