STORYMIRROR

Swati Grover

Abstract Fantasy

4  

Swati Grover

Abstract Fantasy

पत्तझड़ बड़ी लम्बी हैं.…

पत्तझड़ बड़ी लम्बी हैं.…

1 min
265

इस बार की पतझड़ बड़ी लम्बी है

ऋतुएँ भी बदली, मौसम भी पलटा

पक्षी भी चिल्लाएं, तितलियाँ भी सुनायें 

सूरज लगा बतियाने धरती से

आती हैं हमेशा अपनी मर्ज़ी से

इस बार क्या हुआ 

चाँद भी लगा पूछने

सभी को चिंता सी लगती है 

इस बार की पतझड़ बड़ी लम्बी है !


नदियों का बहाव बड़ा तेज है

हवा का भी हल्का जोश हैं

पहाड़ों की बूढ़ी चोटियां भी देने लगी उलाहने

बिना फूलों की डालियां पहुंची मनाने

बरगद ने भी पंचायत बुलाई

कहना लगा नहीं आई तो होंगी रुसवाई 

यह बहार तो बड़ी हट्ठी लगती हैं

इस बार की पतझड़ बड़ी लम्बी हैं............



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract