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Suresh Koundal 'Shreyas'

Drama Romance Tragedy

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Suresh Koundal 'Shreyas'

Drama Romance Tragedy

जज़्बात

जज़्बात

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नम आंखों से छलकता समंदर का पानी,

इन सूखे लबों पर प्यास अभी बाकी है ।।

गुज़र गया वो पास से अनजानों की तरह,

उसके लौट आने का इंतज़ार अभी बाकी है ।।


मिल गयी किताबों में दबी गुलाब की सूखी कलियां ,

उनकी यादों की दिल में बहार अभी बाकी है ।।

हुआ महसूस पलटते उन काज़ग के पन्नों में,

कि खुशबू का ज़हन में वो अहसास अभी बाकी है ।।


मुकद्दर में मेरे तुम हो या नहीं ये ख़ुदा जाने ,

दीदार-ए-रुख़सार की इक आस अभी बाकी है ।।

पढ़ा तो बहुत था मज़मून मुहब्बत का हमने,

शायद सबक एक और ख़ास अभी बाकी है ।।


दिल के आईने को मेरे वो बेरहमी से तोड़ गए,

बिखरे टुकड़ों में सही उनकी तलाश अभी बाकी हैं ।।

तुमने देखी ही कहाँ अमीरी बेपनाह मुहब्बत की,

लुटाने को मेरे अश्क़ ,मेरे जज़्बात अभी बाकी हैं ।।


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