तेरे जाने के बाद
तेरे जाने के बाद
तेरे जाने के बाद
तेरी कमी यूं मुझको खलती रही
इस बेजान जिस्म में
लेकिन सांस चलती रही
सूख गए अश्क आंखों से
धड़कने मचलती रही
विरह की आग की तपन में
यह रुह पिघलती रही
दिल किया तेरी रब से शिकायत करूं
या फिर कोई उससे मैं शिकवा करूं
मुहब्बत को कहते हैं रब की इबादत
फ़िर क्यों उस रब को मैं रुसवा करूं
ढल जाऊं उसी के सांचे में जिसमें
चाहता है ढ़ालना वो मुझको जिसमें
मगर किस्मत मुझी को यूं छलती रही
तेरे जाने के बाद
तेरी कमी यूं मुझको खलती रही
इस बेजान जिस्म में
लेकिन सांस चलती रही
सूख गए अश्क आंखों से
धड़कने मचलती रही
विरह की आग की तपन में
यह रुह पिघलती रही
तेरी यादों की बारिशें
सोने ना दें रात भर
ये अश्कों से नम आंखें
टपकती है रात भर
तूफानोँ की राह में हूँ
मैं सूखा से तिनका
उड़ा जा रहा हूँ उधर
हवा का रुख है जिधर
तेरे आने की आस
जो लगी है इस कदर
कि है गर्दिशों में नाव
पर ना डूबती मगर
फंसकर भी भंवर में वो तैरती रही
तेरे जाने के बाद
तेरी कमी यूं खलती रही
इस बेजान जिस्म में
लेकिन सांस चलती रही
सूख गए अश्क आंखों से
धड़कने मचलती रही
विरह की आग की तपन में
यह रुह पिघलती रही।