चश्में का पर्दा
चश्में का पर्दा
वो चश्मा लगाते हैं...
और बड़ा मुस्कुराते हैं
अपनी मासूमियत को..
बड़ी अदा से दिखाते हैं
वो जानते हैं आंखें
हैं कातिलाना उनकी
करतीं हैं घायल
ये जब भी हैं मिलतीं
ये पानी का झरना
यूं ठहरा ना होता
हम डूब जाते इनमें
गर चश्मे का पहरा ना होता
वो चश्में के पीछे
अपनी पलकें झपकाते हैं
अपनी मासूमियत को..
बड़ी अदा से दिखाते हैं
उनसे नज़रें मिलाने से
लगता है डर
पर
इनसे बच कर
मैं जाऊं किधर
चोरी से चुपके से
छिप छिप के देखूं
कि लग ना जाये
उनको
कहीं मेरी नज़र
डरते भी हैं राज़
न खुल जाए उनका
फिर डाल इन आँखों पर
'चश्में का पर्दा'
बड़े अदब से इठलाते हैं
अपनी मासूमियत को..
बड़ी अदा से दिखाते हैं
वो चश्मा लगाते हैं...
और बड़ा मुस्कुराते हैं
अपनी मासूमियत को..
बड़ी अदा से दिखाते हैं

