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Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

4  

Nilofar Farooqui Tauseef

Romance

प्रेम की सुंदरता

प्रेम की सुंदरता

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वो कला जिसका हर रंग, मन को भाए।

राधा की पायल, कान्हा की धुन बन जाये।

मन की व्यथा, मन में रह जाये,

प्रेम की सुंदरता, मन की बगिया महकाये।


चंचलता लिए मन, करे सोलह श्रंगार,

नयनन इस पार, हो सईयाँ उस पार।

पायल की छम-छम, नाचे बिन घुँघरु,

प्रेम की सुंदरता लिए, मन गाये मल्हार।


मन का पंछी, उड़-उड़ कर थमे।

कभी राधा तो कभी मीरा बने।

बैरागी मन करे आसूँ की बरसात,

अधुरी मुहब्ब्त जो हो, वही जो इश्क़ बने।


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