पानी का बुलबुला
पानी का बुलबुला
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पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी।
समझो तो हक़ीक़त , वरना झूठी कहानी।
पानी से बने, फिर पानी में ही दफ़न हो,
आसां नहीं साहेब, ये अपनी ज़िंदगानी।
क़ुर्बानी देना फिर अलग पहचान बनाना,
बनते-बनते ख़त्म हो जाती है जवानी।
टूटना, डूबना, संभलना फिर उभरना,
मुश्किलें हैं बहुत, पर न सीखी बेईमानी।
एक फूँक में उड़ जाती है ज़िन्दगी की पतंग,
लाख करते रहें ऐ ज़िन्दगी तेरी निगेहबानी।
रह न जाए फिर कहीं दास्ताँ दफ़न होकर,
यही बात थी जो थी तुम्हें आज सुनानी।
पानी का बुलबुला है, ज़िन्दगी की रवानी।