सुहागन हूँ मैं
सुहागन हूँ मैं
सिंदूर माँग में, पैरों में बिछिया,
नयनों में काजल, नाक में नथिया,
लगती देखो सुहागन हूँ मैं।
हाँ,
लगती देखो सुहागन हूँ मैं।
माथे पे बिंदी, हाथों में कंगन,
मंगलसूत्र गले में, पैरों में छम-छम
लगती देखो सुहागन हूँ मैं।
सुनो न,
मंगलसूत्र न सही, एक धागा तो गले में डालो न,
सिंदूर न सही, एक टीका माथे पे तुम भी लगा लो न,
तुम मेरे परमेश्वर हो, मैं हूँ प्रियसी तुम्हारी,
सारे रीति रिवाज सिर्फ़ मेरे, क्यों नहीं हमारी।
देखो न,
ज़माना बदल गया है, तुम भी ज़रा बदल जाओ न।
सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न।
सिंदूर न सही, मेरे नाम का टीका तुम भी लगाओ न।