ताश के पत्तों की कहानी
ताश के पत्तों की कहानी
खेलते तो सभी हैं ताश,
करते रहते हैं अपना मनोरंजन।
इस ताश का पेश है आज,
वैज्ञानिक आधार का वर्णन।
प्रकृति का साथ भी गहरा है,
ताश का अलग ही सम्बन्ध।
ईंट, पान, चिड़ी और हुक्म,
बावन पत्तों का ताश का प्रबंध।
52 पत्ते ताश के होतें,
होतें साल के 52 सप्ताह के समान।
हर पत्ता 4 विध का,
जैसे ये हो वर्ष के 4 ऋतुओं के समान।
प्रत्येक रंग के होते पत्ते तेरह ,
हर ऋतु में तेरह सप्ताह होते।
एक्का से दस्सा होता,
और गुलाम राजा और रानी हैं होते।
1 से 13 के पत्तों का जोड़ गुणा 4,
बन जाती संख्या 364।
साथ जोड़ दें जोकर एक,
तो बन जाता यह 365।
दूसरा जोकर भी जोड़ दें अगर,
तो बनते अधिवर्ष के दिन 366।
यूँ छिपा है ताश के पत्तों में,
साल के खेल का रहस्य।
52 पत्तों में होते 12 चित्र के पत्ते,
बताते हैं ये साल के 12 महीने।
लाल और काले रंग के पत्तों में,
दिन और रात के छुपे हैं मायने।
आइये अब बताता हूँ मैं,
ताश के पत्तों के अर्थ विशेष।
दुक्की बने पृथ्वी और आकाश,
तिक्की से ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
चौकी होती चार वेद,
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद।
पंजी से प्राण, अपान,
व्यान, उदान और समान,
पाँच प्राण के ये हैं भेद।
छक्की से षड़ रिपु, काम, क्रोध,
मद, मोह, लोभ और मत्सर।
सत्ते से खारा, इक्षुरस, मदिरा, घृत,
दधि, दुग्ध, मीठा और सागर।
अट्ठी से अणिमा,महिमा,लघिमा,
गरिमा, प्राकाम्य इशित्व और वशित्व।
नव्वा से नौ ग्रह, दस्सा से दस इन्द्रियां,
गुलाम से मन की वासना का दासत्व।
रानी देती माया का परिचय,
राजा होता सबका शासक।
ताश का आखिरी पत्ता बचा एक्का,
मनुष्य के विवेक का यह परिचायक।
नहीं पता था मुझे यह रहस्य,
ताश के पत्तों की यह अद्भुत कथा।
छिपे ब्रह्माण्ड के इतने सच,
बताते मानव जीवन की गाथा।
गुण अवगुणों का देते परिचय,
सनातनी संस्कृति के छिपे हैं राज।
ज़िन्दगी की इतनी गुढ़ बाते बताते,
अद्भुत है यह मनोरंजन का साज।