कैसे हैं हम मिडिल क्लास वाले
कैसे हैं हम मिडिल क्लास वाले
हम मिडिल क्लास वालों का अलग ही फंडा है यार,
प्यार में एडजस्टमेंट्स या एडजस्टमेंट्स में प्यार।
लड़ाई झगड़े, तू तू मैं मैं और आखिर में प्यार,
मिडिल क्लास की लाइफ में एडजस्टमेंट ही आधार।
खाने में समझौता, घर में समझौता, कपड़ों में समझौता,
जिन्दगी की हर बात में बस समझौता ही समझौता।
अरे बच्चों यह सामान नहीं लेना, बहुत है इसकी कीमत,
एक बार, दो बार, तीन बार, हर बार समझौता समझौता।
सपने बहुत हैं मन में, पर ख्वाहिशों का घोंटते गला,
छोटी छोटी बात पर, खूब करते बिन बात हो हल्ला।
जिम्मेदारी के बोझ तले, पिस जाती है जिन्दगी पूरी,
कितनी ही हसरतें हो मन में, पर रहती अकसर अधूरी।
नीचे जा नहीं सकते हम, ऊपर उठना पड़ता हमें भारी,
इसी जद्दोजहद में हमारी, चलती रहती जीवन की गाड़ी।
कम कमाई में ही घर कैसे चले, कोई सीख लें हम से,
पढ़ लिख कर कुछ न किया, घूंट गए हम इसी ग़म से।
न छू सके आसमान, और न ही ढूंढ़ सके जमीन हम,
वही तो मिडिल क्लास है, जद्दोजहद में ढो रहे ग़म।
न खुलकर हँस पाते हैं, और रोते भी हैं मुँह छुपा के,
लिपटे हैं हमारे तन पे, धागे शर्म, संकोच, और हया के।
न तो जी पाते सही से, और न ही सलीके से मर पाते हैं,
जन्म से लेकर मृत्यु तक, बस हम यूँ ही जीये जाते हैं।
हाँ एक बात और, जो मिला उसमें खुश रहना जानते हैं,
नसीब में लिखा था, इस बात को शिद्दत से मानते हैं।
पाँच सितारा होटल की चाय नहीं चाहिए मिडिल क्लास को,
घर की अदरख की चाय, बढ़ा देती प्यार के अहसास को।
अपनी जिन्दगी के हीरो, हम मिडिल क्लास की खासियत,
किसी को कुछ हो जाए, पहुँच जाते पूछने हम खैरियत।
जिन्दगी हमारे हिसाब से नहीं, हमारे अंदाज़ पे चलती है,
हाँ, कभी कभार कुछ चीजों की कमी भी जरूर खलती है।
लेकिन फिर भी, हमारी जिन्दगी के अंदाज़ होते निराले,
परायों को भी अपना बना लें, ऐसे होते हैं हम दिल वाले।
