प्रतिबिंब
प्रतिबिंब
प्रतिबिंब एक आवाज़ है,
नये संगीत की छाँव है,
यह विचारों का प्रवाह ,
मन के आईने की सज़ा है।
प्रतिबिंब में छुपी है चेतना,
परिचय है अदृश्य का,
हर रंग, हर सुर के संग,
सच्चाई की ख़ामोशी का।
अविचलित हृदय का दर्पण,
प्रतिक्रिया का प्रयोग है,
जीवन की आवाज़ है,
सृजनशीलता का परिचय है।
विचारों की छवि बनती है,
कल्पनाओं की झलक है,
सृजनशीलता की विजय है,
जगत के संगीत की पहचान है।
यह प्रतिबिंब हमारा है,
मन का अंतराल है,
भावनाओं की झलक है,
कविता का प्रतीक है।
जगायें इसे संगीत के रंगों से,
चित्रों के स्वर्णिम रेखाओं से,
प्रतिबिंब का गुंजाये वर्णन,
कविताओं के रंगों से।
प्रतिबिंब की महिमा अनंत है,
इसे जगाना हमारा कर्तव्य है,
चित्रित करें हर भावना,
प्रतिबिंब को सदा बनायें यादगार हैं।।