STORYMIRROR

Aapki Kavyatri

Abstract

3  

Aapki Kavyatri

Abstract

निगाहें

निगाहें

1 min
181

तुम्हारा यूँ सुर में भारी निगाहों से मुझे देखना

तुम्हारे इत्र की महक उसका

मुझे यू पागल केर जाना


तुम्हारा यूँ आईने में देखकर जुल्फों को झटककर

बारिश की बूंदों को आजद करना


मेरे इतवार को महका देता है ओर साथ ही साथ

मेरे हार्ट अटेक चान्सेस को बढ़ाता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract