इक प्याला हो जाए इंतज़ार इंतज़ार में, थोड़ा होश में तो थोड़ा खुमार में मिलेंगे। इक प्याला हो जाए इंतज़ार इंतज़ार में, थोड़ा होश में तो थोड़ा खुमार में मिलेंगे।
कब सोमवार आया, कब बुधवार या फिर कब इतवार कुछ अंदाजा ही नही रहता कब सोमवार आया, कब बुधवार या फिर कब इतवार कुछ अंदाजा ही नही रहता
काश वो पल वो बचपन यूँ लौट आता दुबारा क्या होता, गर पास होता कुछ ही पल हमारा। काश वो पल वो बचपन यूँ लौट आता दुबारा क्या होता, गर पास होता कुछ ही पल हमारा।
ये जिंदगी अब इतवार सी हो गई, फुर्सत के लम्हों की बहार हो गई। ये जिंदगी अब इतवार सी हो गई, फुर्सत के लम्हों की बहार हो गई।
लगाना आंखों में काजल ये ख़ुमार जैसी है नज़र से फिर नज़र मिलाना बेकरार जैसी है लगाना आंखों में काजल ये ख़ुमार जैसी है नज़र से फिर नज़र मिलाना बेकरार जैसी है
लेकिन अंत में कुछ हो न पाता है ये इतवार भी यूँ ही बीत जाता है। लेकिन अंत में कुछ हो न पाता है ये इतवार भी यूँ ही बीत जाता है।