डॉ अशोक गोयल "अशोक " डॉ अशोक गोयल "अशोक "
म से माध्यम मान कर खुद को, ईश्वर को माँ में पाई हूँ। म से मंज़िल को अपनी मैंने, हँसते चेहरों को बनाती... म से माध्यम मान कर खुद को, ईश्वर को माँ में पाई हूँ। म से मंज़िल को अपनी मैंने, ह...
न प्यार , न एहसास , न रिश्तों का रहा कोई मोल न प्यार , न एहसास , न रिश्तों का रहा कोई मोल
ज़िन्दगी को जीना तो बस प्यार से जियो प्यार से ही ज़िन्दगी है बस इसी मौज़ू को समझाती मेरी कविता बात हो द... ज़िन्दगी को जीना तो बस प्यार से जियो प्यार से ही ज़िन्दगी है बस इसी मौज़ू को समझाती...