माँ
माँ
शब्दों के वृहद शब्दकोष से, एक अक्षर चुन कर लाई हूँ।
म से माँ, माँ की ममता जिसे आधार जानती आई हूँ।।
म से मरहम, माँ ही सुलझन, यही बात सीखती आई हूँ।
जो देखा दुनिया को तो सुरक्षित माँ की गोद को ही पाई हूँ।।
म से महत्त्व भाव का समझा मैंने, तब से अक्षर को शब्दों में बुनती आई हूँ।
शब्दों को पिरो कर एक तार में खुशियाँ गिनती आई हूँ।।
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म से माध्यम मान कर खुद को, ईश्वर को माँ में पाई हूँ।
म से मंज़िल को अपनी मैंने, हँसते चेहरों को बनाती आई हूँ।।
म से मुश्किल आई जब ऊपर, माँ के आँचल का सहारा पाई हूँ।
म से मस्ती बचपन की यादें सुहानी, मैं सदा संजोती आई हूँ।।
माँ की भाषा में मिली मुझे है आशा, तुझसे ही जीवन पायी हूँ।
शब्दों के वृहद शब्दकोष से एक अक्षर चुन कर लाई हूँ।।