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म से माध्यम मान कर खुद को, ईश्वर को माँ में पाई हूँ। म से मंज़िल को अपनी मैंने, हँसते चेहरों को बनाती... म से माध्यम मान कर खुद को, ईश्वर को माँ में पाई हूँ। म से मंज़िल को अपनी मैंने, ह...