Nandan Rana

Inspirational

5.0  

Nandan Rana

Inspirational

बेटी

बेटी

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शबनम की मधुर फुहार है बेटी,

विधि का अनुपम उपहार है बेटी।

बेटी से रोशन घर का हर कोना,

आतप में शीतल बयार है बेटी।


सच की राह दिखाती बेटी,

पारस बन घर सजाती बेटी।

पूजा इबादत या अरदास हो,

सबका अद्भुत प्रसाद है बेटी।

मन्दिर मस्जिद हो या गिरिजा गुरुद्वारा,

सबके मन्त्रों का सार है बेटी।। 


बेटी सरवर का निर्मल पानी,

भटके मन को गीता की वाणी

जिस घर आँगन लाडो पलती,

बसेरा करती वहाँ माता रानी।

बिन बिटिया घर होता सूना,

घर में घर का अहसास है बेटी।। 


पंख इन्हें फैलाने दो तुम,

अनंत नभ में उड़ने दो तुम।

है सृष्टि की ध्वज वाहक बेटी,

विजय पताका फहराने दो तुम।

वंश अमर है सबका करती,

मन सुधा की सुवास है बेटी।। 


पिता का सम्मान है बेटी,

खुशियों की खान है बेटी।

माता की परम सहेली,

वंश की शान है बेटी।

बेटी से होता पूर्ण पिता है,

दिल के बहुत पास है बेटी।। 


बेटी तो है पुण्य प्रसूता,

कर्म न कोई कर से छूटा।

नभ जल थल सब मुठ्ठी में

है न कोई छोर अछूता।

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,

चहुँ दिशि सबसे खास है बेटी।। 


भेद न सन्तानों में रखो,

दृष्टि सम अरमानों में रखो।

घर बेटा हो या जन्मे बेटी,

पलक असमानों में रखो।

बिन बिटिया सूना बसन्त है,

खिलती फ्यूँली बुराँस है बेटी।। 


अभी तो डग दो बढ़े हैं,

कल्पना सी उड़ने दो तुम।

भारत का फिर भाल उठेगा,

तुङ्गशी सा चढ़ने दो तुम।

क्रूर शिशिर से पीड़ित जनों को,

नव पल्लव सजा मधुमास है बेटी।। 


रीत काहे उल्टी चलते,

गीत काहे उल्टे गाते।

उजड़ी खेती कब बीज जमा है,

कातिल आँखों में सपने कैसे पलते।

चण्ड-मुण्ड फिर रूप धरे हैं,

तू खड्ग त्रिशूल संभाल ओ बेटी।। 


जंजीर न बंदिश की डालो तुम,

मन में न कोई रंजिश पालो तुम।

संस्कार खुद के बेटों को भी दे दो,

बेटियों को न यूँ ताने मारो तुम।

पढ़ लिख मस्तक ऊँचा करेगी,

शिव डमरू का गुंजित नाद है बेटी। 


कोमलता उपहार मिला है,

सीख अंगार की भी देनी होगी।

स्नेह वत्सला है गर बेटी,

तो कर में कटार भी देनी होगी।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,

घर बगिया का महकता गुलाब है बेटी।।


   


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