आवरण
आवरण


वस्त्र शरीर का आवरण, व्यवहार है मन की पूंजी,
सादा जीवन, उच्च विचार, यही तो हैं सफलता की कुंजी।
व्यवहार से ही मिलती है, इंसान को उसकी सही पहचान,
अच्छे व्यवहार वालों को मिलता, जगत में उच्च सम्मान।
कद्र करोगे औरों की जग में, तो तुम्हारे भी हो जाएंगे, लोग बड़े कद्रदान,
करोगे सबसे व्यवहार अपनेपन का, तो तुम्हे भी मिलेगा, सभी लोगों से अपनापन।
अच्छा व्यवहार इंसानियत का द्योतक, है यही मानवीयता की शान,
न आना कभी प्रलोभनों में तुम, मत खोना सज्जन होने की पहचान।
आवरण बाहरी हो या मन का हो, रखना समरसता का मान,
मुंह में राम, बगल में छुरी, ऐसे विचारों का करना, नहीं कभी भी ध्यान।
सद व्यवहार ही सच्चा व्यवहार, यही तो है जिंदगी का सबसे सच्चा आभूषण,
जिंदगी में सद गुणों का ही, करना सदा तुम हृदय से आचमन।
सच्चे कर्म ही सच्ची उपासना, सच्चे आवरण से ही होती प्रभु की सच्ची आराधना।
सत कर्मों के पथ पर चल कर ही, कर पाओगे आराध्य की साधना।
सत व्यवहार ही जीवन की नियामत, जीवन का सच्चा ज्ञान,
यही है सच्चे मन की इबादत, बढ़ता इसीसे इंसान का मान और सम्मान।
संगत अच्छी हो, रंगत अच्छी हो, हो जाता जीवन का सही निर्माण,
सत्य के राह पर तुम चलते चलो, पूरे होंगे एक दिन, सारे ही अरमान।
कितने ही प्रलोभन मिले भले ही, मत करना कभी सच्चाई का अपमान,
सच्चाई की नियामत भूल कर कभी भी, पूरे न कर पाओगे, कभी कोई अरमान।
मुश्किलें बहुत हैं, कठिनाइयां भी अपार, न छोड़ना सच्चाई का दामन,
थपेड़े बहुत हैं जिंदगी के राह पर, बेईमानी का न करना, कभी भी आचमन।
रुसवाइयों से न घबराना कभी, बनाए रखना मन को शांति का उपवन,
अपनी पहचान बनाकर रखना, न होने देना बुराइयों से कोई विघटन।
परिवार की गहन भीतरी बातों का, न करना कभी अनावरण,
संयुक्त परिवार सब टूट रहे, क्योंकि टूटता जा रहा भावों का कोमल बंधन।
औरों की बातों में आकर तुम, भूल न जाना अपनों का अपनापन,
सत्यता और समर्पण को सदा, बनाकर रखना अपने चरित्र का सही आभूषण।
राष्ट्रीय एकता बनाए रखना सदा, करना संविधान का सम्मान,
तिरंगा देश की शान है, न करना कभी झंडे का अपमान।
संविधान ही देश की इज्जत है, लिखा है इसमें आचारों का नियमन,
रखना सदा इसे सर्वोपरि, करना सारे नियमों का पालन।