आ गए मेरे श्री राम
आ गए मेरे श्री राम
आ गए मेरे श्री राम, कब से बाट रही थी जोह,
वर्ष पाँच सौ हुए, लगी थी बस तुम्हारी ही टोह।
याद है न तुम्हें, तुम्हीं ने किया था मारीच का वध,
याद है रघु नंदन, तुमने किया था रावण का अंत?
याद है राघव, तुमने तीर से अमृत सोख लिया था,
रावण आज भी घूमते हैं, राम एक न दिखता था।
दीवाली हर वर्ष आती है, पर तुम वर्षों से नहीं दिखे,
आज चूम लूँ तुम्हारे चरण, लग रहे श्रीराम सरीखे।
याद है राम, मैं शबरी, जिसने तुम्हें बैर खिलाए थे,
याद है राम, मैं शबरी, तुम पैदल ही मिलने आए थे।
बैठे तुम जमीं पर मेरे पास, मेरी आंखें तक रही थी,
रह गई थी मैं भौचक, खिलाने को बैर चख रही थी।
मैं जा रही आज अयोध्या, तुम राह में ही मिल गए,
चलूँगी अब मैं साथ साथ, मेरे भाग आज खिल गए।
अब तो माँ सीता, लक्ष्मण, हनुमान से होगा मिलना,
अब तो झूमेगा भक्ति में, अयोध्या का हरेक कोना।
अबकी बार जो आए हो, राम अब वापस न जाना,
पकड़ कर रखूंगी तुम्हें, जो कहा तूने मेरा न माना।
एक एक बैर चखूँगी अब, फिर तुमको खिलाऊंगी,
मीठे वाले तुम्हें खिलाकर, खट्टे ख़ुद खा जाऊँगी।
तुम्हारे अयोध्या वाले घर में, मुझे देना एक कोना,
पड़ी रहूँगी तुम्हारे आसरे, कर लूँगी वहीं बिछौना।
तुम्हें जो भोग चढ़ेगा, एक एक कर पहले चखूँगी,
जो भोग स्वादिष्ट होगा, वही तुम्हारे पास रखूंगी।
रोज पखार दूँगी चरण तुम्हारे, यही मेरा कर्म होगा,
तुम्हारी सेवा करूँगी दिन रात, यही परम धर्म होगा।
धन्य हो गया आज जीवन मेरा, दर्शन हुए तुम्हारे,
काट लूँगी अब बची जिन्दगी, राम मैं तुम्हारे सहारे।