क्या करूँ मैं निंदा पर की, अपने ही जब वक्त बदलते। क्या करूँ मैं निंदा पर की, अपने ही जब वक्त बदलते।
हिय से तुम करो श्रवण हिय से तुम करो श्रवण
लेगा चरणों की सुधि केवट तब ही पार ले जाए।। लेगा चरणों की सुधि केवट तब ही पार ले जाए।।
जो सफेद कपड़ा में थी और उसकी आँखों में आँसू थे। जो सफेद कपड़ा में थी और उसकी आँखों में आँसू थे।
सुख समृद्धि घर-घर बरसे सुन लो मेरी पुकार। हम रज तेरे चरणों की नमन करो स्वीकार। सुख समृद्धि घर-घर बरसे सुन लो मेरी पुकार। हम रज तेरे चरणों की नमन करो स्व...
मानो अब भी वृक्ष तले बैठी ज्यों सीता माई हैं मानो अब भी वृक्ष तले बैठी ज्यों सीता माई हैं