हम रज तेरे चरणों की
हम रज तेरे चरणों की
हे दीनबन्धु कृपा के सिन्धु,
पुलकित करो संसार।
हम रज तेरे चरणों की
नमन करो स्वीकार।
हम है जीव तू ब्रह्म अपार
हे प्रभु दया निधान।
जग के सारे रिश्ते झूठे
सत्य तेरा इक नाम।
हे परमेश्वर परमपिता
परमज्योति करतार।
हम रज तेरे चरणों की
नमन करो स्वीकार।
रूप अनन्त अखण्ड तुम्हारा
जग के सृजनहार।
करो कृपा हे दीनदयाल
कीजै भव से पार।
सुख समृद्धि घर-घर बरसे
सुन लो मेरी पुकार।
हम रज तेरे चरणों की
नमन करो स्वीकार।
प्रेम-प्रीति की अग्नि में
जल जाये नफ़रत के तिनके।
उर-उपवन में खिले नम्रता
जग महके सौरभ बनके।
"अशोक" वन्दन करे तुम्हारा
भक्ति दो दातार।
हम रज तेरे चरणों की
नमन करो स्वीकार।।