बोतल में बंद खुशबू
बोतल में बंद खुशबू
तुम्हारा कमरा अब तुम्हारा नहीं लगता माँ
तुम्हारे बिस्तर से अब स्नेह की खुशबू नहीं आती
तुम्हारी अलमारी में अब साड़ियों का नहीं
नैपथलीन के गोलों का कब्ज़ा है
काश तुम्हारी खुशबू बोतल में बंद कर पाती
तुम्हारे जाने से पहले l
अब स्टडी टेबल पर तरतीब से रखी तुम्हारी गृहशोभा,
मनोरमा और मेरी सहेली नहीं हैं
उनकी जगह भी पापा की मोटी मोटी किताबों ने ले ली है
इन किताबों को वो कई बार सिरे से पढ़ चुके हैं
पुरानी कहानियां ज्यादा सुकून देतीं हैं शायद
ड्रेसिंग टेबल अब खाली ही रहता है
उसपर धूल के अलावा अब बस पापा के तेल की शीशी भर है
बस कंघी तुम्हारी है
जिसको रोज़ अपने कम होते बालों पर पापा फेरते हैं
और आईने में देखकर डबडबाई आँखें से मुस्कुरा देते हैं।
खाने की टेबल पर अब सिर्फ़ खाना खाते हैं हम लोग
सब्जियां अब सब फीकी ही लगती हैं
तुम्हारी हिदायतों और तीखी बातों का तड़का
अब सब्जियों का स्वाद नहीं बढ़ाता
ससुराल से मायके जाते वक्त अब भी लगता है कि
घर पहुँचूंगी तो दरवाज़े पर सबसे पहले तुम मिलोगी माँ
वो गहरी सी मुस्कान लिए और अपनी बाहें फैलाए
तुमसे लिपटूंगी और ज़िंदगी की सारी परेशानियां
बदन से गिरकर बह जाएंगी उस गड्ढे में
जिसमें मेरी नज़र उतारकर तुमने मिर्ची जलाई थी
अब कोई नज़र नहीं उतारता
बस मेरी नज़र ढूंढती है तुमको
मेरा माथा तुम्हारी गोद ढूंढता है
जिसपर सर रखकर आँखें बंद करती थी
तो जीवन की सारी ख़ोज पूरी हो जाती थी
मुझे घर मिल जाता था
अपने बेटे को तुम्हारी तस्वीर दिखाती हूं
तुम्हारी कहानियां सुनाती हूं
तुम्हारी तरह मां बनने की कोशिश करती हूं
कई बार जीतती हूं और कई बार हार जाती हूं
चाह कर भी तुम जैसा स्नेह, प्रेम, ताकत, सहनशीलता,
संवेदना, शक्ति, स्वतंत्रता नहीं ला पाती ख़ुद में
काश वो तुमको जान पाता, तुमसे मिल पाता मां
उसके साथ तुमको बांट पाती मैं
उसके साथ तुमको बांट लेती मैं
तुम्हारी याद, तुम्हारा एहसास, तुम्हारी अनुभूति,
तुम्हारा स्नेह, तुम्हारी बोतल में बंद खुशबू।।
