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Goldi Mishra

Drama Tragedy Inspirational

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Goldi Mishra

Drama Tragedy Inspirational

आज़ादी की झांकी

आज़ादी की झांकी

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देखो लहरा रही हिन्द की आज़ादी,

आज भी महक रही है बलिदानों की क्यारी,

वो दौर आज भी इतिहास में अमर है,

वो कहानियां वो आज़ादी की दास्तां आज भी अमर है,

वे डट कर लड़ते रहे,

एक अटूट विश्वास के सहारे बस आगे बढ़ते चले,

हिंद की लाज की खातिर स्वयं को न्यौछावर कर गए,

अपने लहू से इस माटी का विजय तिलक वे कर गए,

यातनाएं सही तन और मन पर गहरी पीड़ा सही,

टूटे बिखरे कई बार पर एकता बरकरार थी,

जम्मू से दिल्ली ,असम से बिहार हर ओर थी चिंगारी,

बेड़ियों में झुलस रही थी मात भवानी,

माटी को माथे का कफन बना,

वे कर गए हर नदी, समुंदर पार,

आज़ादी की वो मशाल भुजने ना दी,

हिंद के रंग में अपनी सांसे थी रंग दी,

आज़ादी के मतवाले हिंद पर जान वार बैठे,

वतन को ही जात और धर्म बना बैठे,

एक मुट्ठी में सिमटा था नया भारत,

एकता के सूत्र में पिरोया सा भारत,

e="color: rgb(0, 0, 0);">मोती मोती शोभा है हिंद की,

हर कण कण में बस्ती है एक कहानी अनकही सी,

हिमालय, झील और रेतीले पठार सब गूंज उठे,

मानो आज़ादी के गीत में झूम उठे,

वन्दे मातरम् की हुंकार थी उठी,

हिंद की माटी फिर जीवित हो उठी,

नमन उन वीरों को जो अटल निश्चल बस कर्म की ओर बढ़ते गए,

अपने लक्ष्य को पाने की खातिर दिन रात सब भूल गए,

पन्ना पन्ना गा रहा है वीर गाथा बलिदानों की,

ये तिरंगा भी है पंक्ति किसी गहरे काव्य की,

धर्म समुदाय रंग जात और रीत है कई,

हजारों है बोली और गीत राग है कई,

मौन हुआ है तिरंगा देख तस्वीर आज के भारत की,

भुज सी गई है वो मशाल उज्वल विचारों की,

गुम है युवा किस ओर ना जाने,

राष्ट्र की आज़ादी का मोल हम क्यों ना पहचाने,

हर पाप हर अनिष्ट को मिटा फिर नया भारत रच देते है,

फिर वंदे मातरम् की हुंकार भर देते है,

कल आज सब भूल एक नया कल लिख देते है,

हिंद की रक्षा की खातिर चलो खुद को वतन के नाम लिख देते है,




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