पायल
पायल
पायल
तू आई है मिलके प्रियतम से,
तेरी पायल कहे है ये सब से,
ये झंकार नहीं थी कल ऐसी,
ये कैसी पायल प्रियतम ने दे दी,
कल तक हस्ती थी तू कलियों सी,
आज महक उठी है क्यारी सी,
तू अब न रही है किसी भी हद में,
तू छोड़ आई है कुछ घुंघरू उनके घर में,
लिखती रही जो बातें खत में,
बाते वो तेरी पायल कह गई हमसे,
बाल संवारे न वो तूने,
जिन को प्रियतम छु गए थे,
तू गाए है अब गीत मिलन के,
तेरे आंगन गूंजे है राग समर्पण के,
वार ले तू ताविज नज़र के,
दे दे धागे उन्हें नज़र के,
आए जब वो इस बारी,
दे देना पायल वापस उनकी,
कहना मैं तो चुप थी,
इस पायल निगोड़ी ने मेरी एक न सुनी थी,
– गोल्डी मिश्रा

