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जंग जीत जाना है

जंग जीत जाना है

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सागर विकराल बड़ा है

पर्वत प्रचंड खड़ा है

उस पर तुफान अड़ा है

क्यों खुंटी तान पड़ा है,

पार तुझे पाना है

जंग जीत जाना है

हाँ, जंग जीत जाना है ।


सपनों की नगरी लूटी है

कुछ यादें पीछे छूटी है

कुछ उम्मीदें भी टूटी है

मन की मलिका भी रुठी है,

लौट नहीं आना है,

जंग जीत जाना है

हाँ, जंग जीत जाना है ।


कितने ही दिल धड़कने है

पीछे बहुत तड़पने है

तेरे कितने ही अपने है

तेरे भी कुछ सपने है,

सबको ही बिसराना है,

जंग जीत जाना है

हाँ, जंग जीत जाना है ।


लोहे ने तुझे बनाया है

अपने को खूब तपाया है

दृढ़ हौसला पाया है

तुझे जीतना भाया है,

मन में कुछ ठाना है

जंग जीत जाना है

हाँ, जंग जीत जाना है ।



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