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Goldi Mishra

Drama Tragedy

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Goldi Mishra

Drama Tragedy

कलयुग की द्रौपदी

कलयुग की द्रौपदी

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मैंने देखी फिर द्रौपदी,

फिरती न्याय को खोजती,

बेबस इस समाज से पूछती है,

क्यूं हर पासे पर मोहरा नारी बनती है,

कोई कसूर नहीं मेरा,

फिर क्यूं ये तन कालिख से सन दिया मेरा,

भरे समाज आज फिर तार तार हुई लाज है,

इस द्रौपदी की गिरधारी तक काहे ना पहुंचे पुकार है,

शर्मसार है वो समाज जहां नारी को रौंदा गया है,

जहां नारी को बस प्यादा समझा गया है,

सामाजिक रंजीशों की जड़े कितनी गहरी है,

आज द्रौपदी भी इनमे जा लिपटी है,

युग बदले पर तस्वीर वही है,

मौन समाज खड़ा है और चीखती द्रौपदी है,

गली चौराहे नग्न कर नुमाइश में सजाई गई है,

ये बेटी भी है भारत की जिसकी लाज पर छींट लगाई ह

ै,

आज फिर चौसर की बाज़ी में नारी की लाज लगाई है,

सौंदर्य से परिपूर्ण ये वादियां आज काले साय में चुप सी लग रही है,

चोट खाई ज़ख्मी नारी सी लग रही है,

गाती कोयल चुप बैठ बस इंसाफ की राह को ताके है,

गए वो–" अब देर है कैसी क्या हार जाएगी कलयुग की द्रौपदी,"

बहती झीले भी चुप सी बहती आहत सी वो भी लागे है,

मौन समाज आज भी है,

भरे समाज चीर हरण सहती द्रोपदी आज भी है,

तस्वीर ना बदली ना समाज की जड़े हिली,

नारी की चीख दबाकर एक गहरी चुप्पी आज भी थी,।।


मणिपुर घटना से सम्पूर्ण देश नाराज़ है, एक गुस्सा एक आक्रोश बरकरार है, पर न्याय नहीं दिखता, ना आस ना उम्मीद का साया दिखता,।।



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