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Mohit shrivastava

Abstract Drama Tragedy

5.0  

Mohit shrivastava

Abstract Drama Tragedy

अम्मा क्या गयी

अम्मा क्या गयी

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अम्मा क्या गई,

कुछ दिनों के वास्ते

अपनी अम्मा के घर

संग ले गई अपने,


चूल्हा-चौका,

कलछी-चिमटा,

दीये-चौबारे,

देहरी-आँगन,


खिड़की-दरवाज़े,

झाड़ू-बुहारे,

लोटा-थाली,

अंधेरे-उजाले,


लोने-अलोने

सवाद सारे,

रोशनदान से आती

धूप सुनहरी,


नीम की निम्बोली

मीठी-कसेली,

नींबू की क्यारी,

बथुए की भाजी,

गैयों की रंभाई और

आले के देव भी सारे।


वीराना सा कर गई

सारा घर।

अम्मा क्या गई,

कुछ दिनों के वास्ते

अपनी अम्मा के घर !


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