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Mohit shrivastava

Romance

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Mohit shrivastava

Romance

ख़याल

ख़याल

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ख़्याल, इस गुज़रती रात में यूँ तिरा,

कोई सितारा जैसे टूटके गोदी में आ गिरा।


पानी पर पड़ती वो पूरे चाँद की परछायीं,

जैसे गोरी कलाई में चाँदी वाला कंगन तिरा।


फ़क़त यही मिल्कियत थी उन दिनों की मिरी,

एक गीत तिरा, एक ख़याल तिरा, एक बात तिरी, एक ख़त तिरा।


ख़्याल, इस गुज़रती रात में यूँ तिरा,

कोई सितारा जैसे टूटके गोदी में आ गिरा।


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