चाय वाला इश्क
चाय वाला इश्क


वो खुले बालों का आशिक़,
मैं लहराती चोटी की दिवानी।
उसे आईलाइनर
पसंद था मुझे काजल।
वो कॉफी पर मरता था,
और मैं बिस्कुट और
अदरक वाली चाय पर।
उसे गाने पसंद थे,
मैं ग़ज़ल की दिवानी थी।
वो सीसीडी पर बुलाता
और मैं चाय की टपरी पर।
वो समंदर का दिवाना,
मैं पहाड़ों की दिवानी।
उसे लांग ड्राइव पसंद था
और मुझे हाथों में हाथ
डाले लंबी वाक्।
उसे चांदनी रातों में कॉफी भाती,
मुझे सुबह की किरणों संग
चाय की ताज़गी।
वो कड़क मिजाज, सांवला,
तीखी तासीर लिए बिल्कुल मेरी
सुबह की चाय जैसा और मैं दुधिया,
मीठी, उफनती महकती उसकी कॉफी जैसी।
उसे ख़ामोश रहना पसंद था
और मुझे घंटों बातें करना।
१० साल बाद भी हम बहुत अलग हैं,
पर हमारा इश्क सुबह की चाय जैसा है
ताजग़ी, खुशबू, उफान,
गर्माहट और मिठास लिए।