तू ही रे.... भाग दो
तू ही रे.... भाग दो
मेरी मरियम भी तू , मेरी एजरैल भी तू
मेरा ब्रह्मा भी तू , मेरा शिव भी तू
मेरा हनुमान भी तू , मेरा जूडस भी तू
मेरी आदत भी तू , मेरी घृणा भी तू
मेरा विवेक भी तू , मेरा जूनून भी तू
मेरी हद भी तू , मेरी बेहद भी तू
मेरी ख़ामोशी भी तू , मेरी चीख भी तू
मेरी जीत भी तू , मेरी हार भी तू
मेरी सफलता भी तू , मेरी नाकामयाबियां भी तू
मेरी आगाही भी तू , मेरी नासमझियां भी तू
मेरा “तू ” भी तू , मेरा “आप ” भी तू
मेरा रजनीगंधा भी तू , मेरा धतूरा भी तू
मेरा मुश्क़ भी तू , मेरी असौढ़ भी तू
मेरा मिलन भी तू , मेरा अलगाव भी तू
मेरी चिठ्ठी भी तू , मेरा ईमेल भी तू
अब और किस नाम से पुकारूँ तुझे
मेरी ज़िन्दगी भी तू और मेरी मौत भी तू ही तोह है ना ॥
तेरे लिए मेरी मोहब्बत किसी इबादत से कम नहीं है
और इबादत भी ऐसी की है हमने तुझसे
जैसी कर्ण और एकलव्य ने की थी अपने गुरुओ की ,
बिलकुल वैसी .