सृष्टि के प्रारम्भ में प्रसन्न करें ब्रह्मा इसी धारणा से श्री हरि को! सृष्टि के प्रारम्भ में प्रसन्न करें ब्रह्मा इसी धारणा से श्री हरि को!
श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित तुम बड़े ही भाग्यवान हो । श्री शुकदेव जी कहते हैं, परीक्षित तुम बड़े ही भाग्यवान हो ।
स्वयं ही जगत के रूप में अपनी ही रचना वो करते। स्वयं ही जगत के रूप में अपनी ही रचना वो करते।
आपके चरणों में है तीनों लोकों का बसेरा आपके चरणों में है तीनों लोकों का बसेरा
बातें करती है कांव-कांव, कौवे की दीदी लगती है। इसकी कैसे चाह करूं, बातें करती है कांव-कांव, कौवे की दीदी लगती है। इसकी कैसे चाह करूं,
अनजाने में मैंने दो ज्योतियों को एक कांटे से छेद दिया है। अनजाने में मैंने दो ज्योतियों को एक कांटे से छेद दिया है।